Wednesday, April 24, 2024
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शिक्षक दिवस के अवसर पर डॉ. नरेश शर्मा को मिला वेस्ट टीचर का अवार्ड, उनका नाम गिनीज और लिमका बुक में भी दर्ज

आज की दुनिया में जहां एक बार नौकरी मिल जाए तो लोग जहां समय पर न पहुंचने के लिए बहाने ढूंढते हैं। वहीं छुट्टियां करने के लिए भी तरह-तरह के जुगाड़ लगाते हैं। इसके बावजूद जिला ऊना से संबंध रखने वाले डॉ. नरेश शर्मा ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने 33 साल की नौकरी में सिर्फ 7 ही छुट्टियां की हैं। डॉ. नरेश शर्मा अब तक नौदान, धर्मशाला, शाहपुर और नगरोटा बगवां (Nadaun, Dharamshala, Shahpur and Nagrota Bagwan) समेत कई कालेजों में सेवाएं दे चुके हैं। डॉ. नरेश शर्मा इस समय धर्मशाला कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं। डॉ. नरेश शर्मा से शिक्षा ग्रहण करने वाले कई छात्र आज बड़े ओहदों पर हैं । उनसे शिक्षा प्राप्त करने वाले राकेश, सुरेश, विवेक, राहुल, रमन, गीतांजलि, अमित, कुश और नंदनी ने कहा कि वे भले ही दूसरे शिक्षकों के लेक्चर छोड़ देते थे, लेकिन उन्होंने कभी डॉ. नरेश शर्मा का लेक्चर नहीं छोड़ा।

पिछले 33 साल में एक भी प्रमोशन (Promotion) नहीं

डॉ. शर्मा आज दिन तक कभी किसी लेक्चर में एक मिनट भी देरी से कक्षा में नहीं पहुंचे। डॉ. नरेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने अब तक के 33 साल के कॅरिअर (career) में सिर्फ सात ही छुट्टियां ली हैं, जो कि उन्हें आपातकालीन कारणों के चलते लेनी पड़ीं। उन्होंने बताया कि उन्हें 11 संस्थानों ने वेस्ट टीचर अवार्ड से भी नवाजा है। वे पढ़ाने के लिए इतने खुश रहते हैं कि उन्होंने पिछले 33 साल में एक भी प्रमोशन ( promotion) नहीं ली

प्रमोशन लेकर उनका तो भला हो जाएगा, लेकिन वे बच्चों को पढ़ाने से वंचित हो जाएंगे। डॉ. शर्मा ने बताया कि 33 साल में कम छुट्टियां करने और लेक्चर मिस न करने के लिए उनका नाम गिनीज और लिमका बुक (Guinness and Limca books)में दर्ज करवाने के लिए भी गया हुआ है। उनका कहना है कि लेक्चर के बीच अगर कभी प्रिंसिपल ने भी उन्हें बुलाया है, तो भी वे लेक्चर बीच में छोड़ कर उनसे मिलने नहीं गए हैं, क्योंकि वे बच्चों को पढ़ाना ही सबसे बड़ा धर्म मानते हैं।

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