Friday, May 3, 2024
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केंद्रीय मंत्री Anurag Thakur के लिए बजी खतरे की घंटी, जानिये क्यों?

बड़ी खबर आपको बता दे की Hamirpur parliamentary seat से MP and Union Minister Anurag Thakur के खिलाफ हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव खतरे की घंटी हैं। 2024 के चुनावों के लिए Union Minister Anurag Thakur की डगर इस बार बेहद कठिन होने वाली है।

17 विधानसभाओं वाली Hamirpur Parliamentary Constituency का विस्तार Hamirpur, Kangra, Una , Bilaspur व Mandi district की एक सीट Dharampur से भाजपा अधिकतर सीटों पर चुनाव जीतने में असफल रही है।

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हैरानी इस बात की है कि Mandi district की 10 सीटों में से Hamirpur parliamentary constituency में पड़ने वाली एकमात्र सीट Dharampur में भाजपा उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा।

वहीं, मंडी जिला की अन्य 9 सीटों पर भाजपा चुनाव जीतने में सफल हुई है। जिस तरह से हमीरपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस को बंपर जीत मिली है, उससे साफ है कि केंद्रीय मंत्री अपने गृह क्षेत्र में धीरे-धीरे जनाधार खोते जा रहे हैं।

हालांकि, अनुराग ठाकुर ने इस संसदीय क्षेत्र में विकास कार्यों में कोई कसर नहीं छोड़ी है, मगर इस विधानसभा चुनाव को लेकर उनकी लोकप्रियता पहले से बहुत ज्यादा कम हुई है।

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Bilaspur district को छोड़ दें तो बाकी जिलों की अधिकतर सीटों पर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। यही नहीं, कुछ सीटों पर टिकट भी अनुराग ठाकुर की पसंद से दिए गए थे। मगर वो अपने उम्मीदवारों को जिताने में असफल साबित हुए।

Hamirpur parliamentary seat Anurag Thakur

जिलावार बात की जाए तो Hamirpur parliamentary seat के Kangra district में पड़ने वाले Dehra assembly constituency में Anurag Thakur के हस्तक्षेप के बाद भाजपा के एसोसिएट MLA Hoshiar Singh Thakur का टिकट काटकर Ramesh Dhwala को दिया गया था। लेकिन वो नहीं जीत पाए। वहीं, Jaswan Paragpur से former Industries Minister Vikram Thakur जीतने में जरूर सफल रहे।

हमीरपुर जिला की पांचों सीटों पर भाजपा उम्मीदवार जीतने में असफल रहे हैं। बता दें कि इस जिला के भोरंज, सुजानपुर, बड़सर व नादौन से कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है।

वहीं, हमीरपुर सदर से तमाम कोशिशों के बाद भी भाजपा के उम्मीदवार नरेंद्र ठाकुर को हार का मुंह तो देखना ही पड़ा, बल्कि वह तीसरे स्थान पर खिसक गए। यहां से निर्दलीय आशीष शर्मा ने भारी मार्जिन से जीत दर्ज की।

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उना जिला में भी कमावेश यही स्थिति है। चिंतपूर्णी, गगरेट, हरोली व कुटलैहड़ से भाजपा के उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा। मात्र ऊना सदर सीट पर कांटे के एक मुकाबले में भाजपा उम्मीदवार सतपाल सत्ती को कड़ी मशक्कत के बाद जीत मिली।

मगर जीत का अंतराल बेहद कम रहा। यानि, ऊना जिला में भी एकमात्र सीट ही भाजपा जीत पाई। जहां कुटलैहड़ की सीट भाजपा पिछले 35 साल से जीतती आ रही थी, मगर इस बार कांग्रेस ने भाजपा के इस किले को भी ध्वस्त कर दिया।

बात करें बिलासपुर जिला की तो बिलासपुर में भाजपा तीन सीटें जीतने में जरूर सफल रही। मगर इसका क्रेडिट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को जाता है। बिलासपुर सदर सीट पर जीत का अंतराल बेहद कम रहा। भाजपा ने झंडूता, बिलासपुर व नैना देवी बेहद कम मार्जिन से जीती हैं।

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वहीं, घुमारवीं से कांग्रेस उम्मीदवार जीतने में सफल रहा। 17 विधानसभा वाली संसदीय सीटों वाले हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के हिस्से मात्र 4 सीटें आई हैं, जबकि कांग्रेस 13 सीटों पर जीत कर उम्मीद के विपरीत परिणाम लेने में सफल रही।

हार के कारणों की जब भी समीक्षा होगी तो अनुराग ठाकुर की भूमिका को लेकर पार्टी मंथन जरूर करेगी। वहीं, कांग्रेस ने भी अनुराग ठाकुर की 2024 के चुनावों को लेकर अभी से घेराबंदी कर दी है।

राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान इस दफा किसी भी सूरत में अनुराग ठाकुर को संसद नहीं पहुंचने देना चाहती। इसी के चलते हमीरपुर संसदीय सीट से सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री की ताजपोशी कर अनुराग के खिलाफ फील्डिंग सजा दी गई है।

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हिमाचल के राजनीतिक इतिहास में यह पहली दफा होगा कि हमीरपुर संसदीय सीट को दो पावरफुल पोस्टों से नवाजा गया है। इसका साफ अर्थ यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव में जहां अनुराग ठाकुर को अपनी पार्टी के अंतर विरोध का सामना करना पड़ेगा, वहीं कांग्रेस उन्हें हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाएगी। यानि, अनुराग ठाकुर को दो-दो मोर्चाे पर लड़ाई लड़नी होगी। अन्यथा इस दफा उनके लिए 2024 की डगर बेहद कठिन नजर आ रही है।

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